Monday, May 22, 2017

भारतीय एकता मिशन भीम आर्मी।

नई दिल्ली. सहारनपुर में दलितों और राजपूतों के बीच हुए विवाद के बाद एक संगठन इन दिनों काफी चर्चा में है। इस संगठन का नाम है भीम आर्मी, जिसका पूरा नाम है भारतीय एकता मिशन भीम आर्मी। दलितों का यह संगठन मायवाती के बहुजन समाज पार्टी से काफी अलग है। यह संगठन दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर सीधा जवाब देता है और अपने हक की लड़ाई भी लड़ता है। फेसबुक पर इस संगठन को पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खास बात यह है कि इस संगठन में दलित युवकों के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के सिख भी शामिल हैं। इस संगठन ने रविवार को दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट किया। जिसमें संगठन से जुड़े हजारों लोग शामिल हुए। इस प्रदर्शन में शामिल लोगों में युवाओं की तादाद ज्यादा थी। आज हम आपको इस संगठन और इसके संस्थापक चंद्रशेखर आजाद के बारे में बताएंगे। 
क्या था मामला?
-बता दें कि 5 मई को महाराणा प्रताप शोभा यात्रा निकाली जा रही थी।
-इस दौरान सहारनपुर के शब्बीरपु गांव में दो वर्गों की बीच संघर्ष हो गया।
-जिसमें एक सवर्ण व्यक्ति की मृत्य हो गई।
-दलितों का आरोप है कि लगभग दो दर्जन दलितों के घर जला दिए गए।
-संघर्ष तब से दलित बनाम सवर्ण हो गया है।
-जिसके बाद ये धीरे-धीरे पड़ोस के जिले जैसे शामली और मेरठ में भी फैल गया और वहां भी बवाल हुआ।
न्याय की मांग कर रहा है संगठन
-जंतर-मंतर पर प्रोटोस्ट करने पहुंचे भीम आर्मी के लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।
-संगठन के लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार उनकी सुन नहीं रही है।
-यही नहीं संगठन के 27 लोगों को फर्जी मुकदमों में जेल भेज दिया गया है।
-प्रदर्शन कर रहे लोग जिन्हें छोड़ने की मांग कर रहे हैं। 
कौन हैं चंद्रशेखर आजाद ?
-भीम आर्मी का सहारनपुर में काफी प्रभाव है। 
-इस संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद यहीं के छुटमलपुर गांव के रहने वाले हैं, जो पेशे से अधिवक्ता हैं।
चंद्रशेखर उस वक्त चर्चा में आए जब उन्होंने अपने गांव के बाहर बोर्ड लगाते हुए लिखावाय 'द ग्रेट चमार गांव।'
-करीब छह साल पहले जब चंद्रशेख के पिता अस्पताल में भर्ती थे तो चंद्रशेखर ने अस्पताल में लोगों से दलित समाज के दमन की बातों को सुना।
-उस वक्त वह अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते थे।
-लेकिन दलितों के दमन की बात सुनकर चंद्रशेखर ने अमेरिका जाने का विचार त्याग दिया।
-और 2011 में गांव के कुछ युवकों के साथ मिलकर भारत एकता मिशन भीम आर्मी का गठन किया। 
'रावण' के नाम से भी जाने जाते हैं चंद्रशेखर
-भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को रावण के नाम से भी जाना जाता है।
-चंद्रशेखर कहते हैं कि रावण को लोग नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं।
-लेकिन अगर ठीक ढंग से देखा जाए तो रावण ने अपनी बहन सुपर्णखा का बदला लिया था।
-चंद्रशेखर बताते हैं कि सुपर्णखा का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण किया।
-लेकिन सीता को रावण ने सम्मानजनक तरीके से अशोक वाटिका में रखा। 
समाज की सेवा करना है मुख्य उद्देश्य
-30 साल के चंद्रशेखर संगठन के लिए वकालत भी करते हैं।
-जिस वक्त भीम आर्मी का गठन किया गया था।
-उस समय इसका उद्देश्य समाज की सेवा करना और गरीब कन्याओं के लिए धन जुटाकर विवाद संपन्न कराना था।
-लेकिन कुछ दिनों पहले रामनगर में हुए बवाल ने इस संगठन को चर्चा में ला दिया।
-जिसके कारण संगठन की काफी बदनामी भी हुई।
'राजनीतिक दलों के लिए सिर्फ वोट हैं दलित'
-चंद्रशेखर कहते हैं कि दलितों की परवाह कोई नहीं करता है।
-राजनीतिक दल हमें सिर्फ वोट समझते हैं।
-वह कहते हैं कि हमारे लोगों पर हर दिन अत्याचार किया जाता है।
-और पुलिस भी हम लोगों की नहीं सुनती है।
-उन्होंने उदाहरण दिया कि उना (पिछले साल गुजरात में दलितों के हमलों पर गठबंधन पर हमला) या (हैदराबाद छात्र) रोहिथ वेमुला की आत्महत्या आदि ऐसे मामले हैं।
-जहां पर दलितों की कोई सुनवाई नहीं हुई। चंद्रशेखर के अनुसार, भीम सेना एक मंच है जहां हम अपने युवा दलित समाज हित में कार्य करने के निर्देश देते हैं और उन्हें जागरूक करते हैं।