दिल्ली डेंगू के
चपेट में है। सरकारी अस्पतालों में एक-एक बेड पर दो से तीन मरीजों के होने के
बावजूद मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह कम पड़ रही है। मौत के आंकड़े बढ़ते जा
रहे हैं ऐसे में इन तमाम पहलुओं और डेंगू से लड़ने के लिए सरकार
नई दिल्ली।
दिल्ली डेंगू के चपेट में है। सरकारी अस्पतालों में एक-एक बेड पर दो से तीन मरीजों
के होने के बावजूद मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह कम पड़ रही है। मौत के आंकड़े
बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में इन तमाम पहलुओं और डेंगू से लड़ने के लिए सरकार द्वारा
किए जा रहे इंतजामों पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के
महानिदेशक डॉ. एसके शर्मा से दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता रणविजय सिंह ने बात
की।
प्रश्न: डेंगू
बुखार की पहचान क्या है?
जवाब: यदि किसी
को डेंगू हो तो घबराने की बात नहीं है। शरीर में पानी की मात्रा ठीक रखें तो 99 फीसद लोग सिर्फ बुखार की एक दवा पैरासिटामोटल
से ठीक हो सकते हैं। नींबू पानी, शिंकजी, जूस, नारियल पानी, दूध, लस्सी आदि तरल पदार्थ के सेवन अधिक करें। शरीर
में पानी की मात्रा ठीक होने पर मरीज मर नहीं सकता और डेंगू बुखार समान्य तौर पर
सात दिनों में ठीक हो जाता है। पानी की कमी होने पर ही मरीज को डेंगू शॉक सिंड्रोम
हो जाता है। ऐसा सिर्फ एक फीसद मरीजों को ही होता है।
प्रश्न: डेंगू के
शुरूआती लक्षण क्या होते हैं?
जवाब: बुखार,
जुकाम, गले में दर्द, आंखों के पीछे
दर्द महसूस होना इसके शुरूआती लक्षण होते हैं। पूरे शरीर में लाल निशान (चकते) बन
जाते हैं व मांसपेशियों में दर्द होता है। यदि मरीज उल्टी शुरू कर दे तो यह गंभीर
लक्षण होता है।
प्रश्न: इस बार
डेंगू का प्रकोप अधिक क्यों हुआ, कहा चूक रह गई?
जवाब: दिल्ली में
डेंगू हर साल होता है। इस बार मौसम मच्छरों के अनुकूल रहा है। जिसकी वजह से
मच्छरों की उत्पत्ति अधिक हुई। इस कारण डेंगू के मामले अधिक आ रहे हैं। अभी भी
मौसम में न अधिक गर्मी है और न ही ठंड। मौसम में नमी है। मौसम ऐसा ही रहा तो डेंगू
के और मामले सामने आएंगे। अब तो जल्द मौसम बदलने और ठंड आने की कामना करना चाहिए।
प्रश्न: बीमारी
से बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: लोगों को
पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए। पांव में जुराब भी पहनें तो अच्छा होगा। डेंगू का
एडीज मच्छर घर के अंदर साफ पानी में पनपता है। घरों में गमलों के नीचे ट्रे रखा
होता है, उसमें मच्छर उत्पन्न होने
की संभावना अधिक होती है। उसकी सफाई जरूरी है। घर में दिन के वक्त भी मच्छर मारने
वाले क्वायल या लिक्विड जलाकर रखें। घर में मच्छरदानी लगाकर रहें। बच्चों पर विशेष
रूप से ध्यान देने की जरूरत है। घर के आसपास साफ पानी जमा नहीं होने दे। हर सप्ताह
कूलर की सफाई जरूरी है। कूलर के घासों में एडीज मच्छर के अंडे सालों रह सकते हैं।
क्योंकि मच्छर के अंडे खराब नहीं होते। साफ पानी के संपर्क में आते ही लार्वा बन
जाता है। इसलिए कूलर के घास को हर साल जला दें। क्योंकि मच्छर को मारना बहुत जरूरी
है। जिस घर में डेंगू पीड़ित हो वहां स्प्रे जरूरी है। घर में डेंगू के मरीज को भी
मच्छरदानी में रखा जाना चाहिए। क्योंकि हर मादा एडीज मच्छर वायरस संक्रमित नहीं
होती। लेकिन यदि उस मरीज को काटने के बाद किसी और व्यक्ति को एडीज मच्छर काटता है
तो वह डेंगू से पीड़ित हो सकता है। डेंगू में दर्द निवारक दवा नहीं लेना चाहिए।
प्रश्न: बीमारी
की गंभीरता का पता लगाने का क्या तरीका है?
जवाब: इसके लिए
फार्मूला 20 है। यदि ब्लड प्रेशर
समान्य से 20 कम हो, प्लस रेट समान्य से 20 ज्यादा हो, उपर और नीचे के
ब्लड प्रेशर का अंतर 20 से कम रह जाए या
शरीर में 20 से ज्यादा रक्त स्राव का
स्पॉट है तो माना जाता है कि मरीज की हालत गंभीर है। ऐसी स्थिति में मरीज को 20 एमएल प्रति किलो बॉडी वेट के मुताबिक प्रति
घंटे पानी चढ़ाना पड़ता है।
प्रश्न:
प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत कब होती है?
जवाब: यदि शरीर
में प्लेटलेट्स की मात्रा डेढ़ लाख हो तो वह समान्य होता है। विश्व स्वास्थ्य
संगठन का दिशा निर्देश है कि यदि मरीज का प्लेटलेट्स घटकर 10,000 भी हो जाए और यदि शरीर के किसी हिस्से से
रक्तस्राव नहीं हो रहा है तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं है। प्राइवेट
अस्प्तालों ने मरीजों में भ्रम पैदा कर दिया है। रक्तस्राव होने व मरीज के शॉक में
जाने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।
प्रश्न:
अस्पतालों में इलाज के लिए सुविधाएं कम पड़ रही हैं। इसके लिए क्या कदम उठाए जा
रहे हैं।
जवाब: 50 फीवर क्लीनिक शुरू कर दिए गए हैं। यह क्लीनिक
दो शिफ्टों में सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक चलेंगे। वहां खून जांच, दो बेड, पानी चढ़ाने आदि की व्यवस्था की गई है। गंभीर मरीजों को
तुरंत बड़े अस्पतालों में पहुंचाने के लिए एंबुलेंस मौजूद रहेगी। इसके अलावा 34 सर्विंलेंस अस्पताल हैं जहां इलाज की व्यवस्था
है। सरकार ने अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी गंभीर मरीज को भर्ती
करने से इंकार नहीं करना है।
प्रश्न: यदि
डेंगू खतरनाक नहीं है तो इस बार मौतें अधिक क्यों हो रही हैं?
जवाब: डेंगू के
वायरस चार तरह के होते हैं। इस बार डेंगू-2 और डेंगू-4 दोनों के मामले आ
रहे हैं। यह ज्यादा खतरनाक होता है। लेकिन बीमारी की रोकथाम के लिए पूरा महकमा
जुटा हुआ है। सुबह सात से रात नौ बजे तक अधिकारी कार्य में जुटे रहते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने रविवार को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें आला अधिकारियों के अलावा सभी 11 जिलों के जिला स्वास्थ्य अधिकारी व अस्पतालों
के चिकित्सा अधीक्षकों को शामिल किया गया है। इस ग्रुप के जरिए फीवर क्लीनिकों की
निगरानी की जाएगी। प्रति दिन उस ग्रुप में फीवर क्लीनिक की तस्वीरें भेजने का
निर्देश दिया गया है। सोमवार से मरीजों का आंकड़ा ऑनलाइन जारी किया जाएगा। इसके
अलावा लोग ऑनलाइन यह भी देख सकेंगे किस अस्पताल में कितने बेड और आइसीयू में कितने
वेंटिलेटर खाली पड़े हैं। इससे मरीजों को सुविधा होगी।
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