भारत के सभी राज्यों
में किसी ना किसी राजनैतिक दल की सरकार है और धर्म भी है और सभी जगह भारतीय मुद्रा
चलन में भी है, फिर आखिर भारत का
ऐसा कौन सा शहर है जहाँ आपकी जेब से पैसे नदारद हों और आप चैन की सांस ले रहे हों?
आप धर्म से ऊपर उठ कर जिंदगी जी रहे हों l
राजनीति आपके घर में दखलंदाजी न कर रही हो l सोचिये l
चलो हम आपको बता
देते है कि यह शहर दक्षिण भारत में है और चेन्नई से केवल 150 किलोमीटर की दूरी पर केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी के
विलुप्पुरम जिले में है। इस जगह का नाम है ऑरोविले, और सूर्योदय के शहर के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर
है l इस शहर को मीरा अल्फासा (मां) ने 28 फरवरी, 1968 में श्री
अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किया था l इस शहर को रोजर एंगर ने डिजाइन किया था. इस शहर
की स्थापना करने वाली 'मां' का मानना था कि यह यूनिवर्सल टाउनशिप भारत में
बदलाव की हवा लाएगा l
ऑरोविले शहर को
बसाने का सिर्फ एक ही मकसद रहा कि यहां सभी इंसान जात-पात, ऊंच-नीच और भेद-भाव के बिना रहें। यहां पर कोई भी इंसान आकर
रह सकता है, लेकिन सिर्फ एक
शर्त है उसको यहां पर एक सेवक की तरह रहना होगा। इस शहर में 50 देशों के लोग रह रहे हैं। इस शहर की आबादी लगभग
24 हजार लोगों की है। यहां
पूरी दुनिया के पुरुष और महिलाएं शांति से रहते हैं l हर तरह की राष्ट्रीयता से
ऊपर l न कोई झगड़ा-झंझट और न कोई क्षुद्र राजनीति l ऑरोविले में आपको मानवीयता का
चरम बिंदु देखने को मिलेगा l
ऑरोविले के लोग
धार्मिकता के बजाय आध्यात्मिकता को अधिक तरजीह देते हैं l इस शहर के बीचोबीच एक मातृमंदिर है, हालांकि ये
मंदिर किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, और यहां पर सिर्फ लोगा योग करते हैं। यहां 900
की क्षमता वाली एक असेंबली है और यहां की
आतंरिक दिक्कतों का निपटारा यहीं के लोग करते हैं l लोग एक-दूसरे की भाषा नहीं समझ
पाते इसके बावजूद वे अपना सारा काम बिना रुकावट के करते हैं l यहां लोग बाहर से
चीजें आयात-निर्यात करने के लिए ही पैसे का इस्तेमाल किया करते हैं l इसके अलावा
यहां सभी चीजों के मूल्य न्यूनतम हैं l यहां सांसारिक सुखों को बिना वजह की तरजीह
नहीं दी जाती l ऑरोविले को यूनेस्को ने एक अंतरराष्ट्रीय शहर के रूप में प्रशंसा
की है और भारतीय सरकार की ओर से समर्थित भी है।
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