Friday, October 7, 2016

श्री कैलाश बोकोलिया जी (संपादक) को पत्र

प्रिय श्री कैलाश बोकोलिया जी (संपादक)
नमस्कार,
जैसा कि आप जानते है कि दिल्ली में आपके द्वारा और मैंरे द्वारा रैगर दर्पण पत्रिका के सदस्य बनाये हुए है उन लोगो तक पत्रिका की प्रति नहीं पहुँच रही है, और उन लोगो ने आपको भी व्यक्तिगत तौर पर फ़ोन पर अवगत कराया है l
आप तो जानते है कि दिल्ली में हर सप्ताह दो बार तो कहीं ना कही सामाजिक मीटिंग होती रहती है, वहां पर हम सभी लोग एकत्रित होते है और वहां रैगर दर्पण के बारे में प्रति नहीं मिलने की जन-सामान्य में तीव्र प्रतिक्रिया और आलोचना सुनने को मिलती है, जिसका पत्रिका के भविष्य पर कुप्रभाव पड़ेगा और आपको आर्थिक हानि भी होगी इसके अलावा सर्कुलेशन पर भी असर पड़ेगा l इसलिए समाज और पत्रिका के हित को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में रैगर दर्पण की प्रति समय पर नियमित रूप से भेजे l
रैगर दर्पण की नियमित प्रति मिलने पर सदस्यता बढेगी और सदस्यता बढेगी तो सर्कुलेशन बढेगा तभी  विज्ञापन भी प्राप्त होंगे ऐसी स्थिति में विज्ञापन मिलना मुश्किल है l
भवदीय,

रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया    

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