रैगर समाज
समाज के चतुर्मुखी विकास के लिए विभिन्न आयामो का समय - समय पर आयोजन करता है |
व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार
कि चुनौतियो का सामना करना पड़ता है | ये चुनौतियां हमारे लिए एक प्रकार
का उपहार लेकर आती है | जीवन कि इन
चुनौतियों को साहस के साथ स्वीकारने एवं उसकी बाधाओं को पार करने पर हमें सफलता
रूपी उपहार मिलता है किन्तु इसके विपरीत हताशा / निराशा के कारण चुनौतियों का
सामना करने से पीछे हट जाने से असफलता के कारण जीवन अंधकारमय लगने लगता है |
किसी कार्य को करने के लिए जितना
अधिक संघर्ष करना पड़ता है परिणाम की सफलता उतनी ही शानदार होती है | चुनौतियां जलते हुए अंगारा होती
है | सोना शुद्ध
करने के लिए अग्नि में तपाया जाता है | तपने के बाद शुद्ध सोने कि
प्राप्ति होती है | इसी प्रकार
कठिनाइयों से तपा हुआ व्यक्ति सफलता के बाद पूर्ण व्यतित्व का आयाम लेकर समाज को
सुन्दर दिशा देता है |
कार्य कि सफलता में दो मुख्य
निर्धारक है - (1) अवसर कि
परख (२) उपुक्त समय पर निर्णय लेना | प्रायः लोग सही अवसर पर कार्य
नहीं करते हैं | अतः सफलता
हाथ नहीं है | निर्णय कि
क्षमता समय के साथ होने से सदैव सफलता कदम चूमती है | इसके अतिरिक्त दूरदर्शिता एवं
ततउत्पन्न मति भी सफलता के लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है |
आवश्यक एवं अनिवार्य रूप से
स्मरणीय रहे कि सदैव प्रत्येक कार्य कि सफलता भी अनर्थकारी सिद्ध होती है | प्रत्येक कार्य कि सफलता मनुष्य
को अहंकारी एवं कुपतिगामी होने के लिए प्रेरित करती है | अतः यदा - कदा सफलता के मोड़ पर
पहुंचना आवश्यक है ऐसे समय में व्यक्ति आध्यात्मिक एवं ईश्वर सत्ता का बोध करता है
जिसके द्वार सृजन हेतु खुलते हैं |
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